Bad Parenting से होने वाली 8 Common Problems as per Psychology

Bad Parenting से होने वाली 8 Common Problems as per Psychology

 बचपन वह आधारशिला है जिस पर व्यक्ति का पूरा व्यक्तित्व निर्मित होता है। माता-पिता का बच्चों के जीवन में विशेष योगदान होता है क्योंकि वे उनके प्रथम शिक्षक, मार्गदर्शक और संरक्षक होते हैं। लेकिन कभी-कभी अनजाने में माता-पिता के गलत पालन-पोषण के तरीके बच्चों पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। बुरे पालन-पोषण का सीधा असर बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास पर पड़ता है। इस लेख में, हम आठ आम समस्याओं पर चर्चा करेंगे जो बुरे पालन-पोषण की वजह से बच्चों में उत्पन्न हो सकती हैं।


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1. आत्म-सम्मान की कमी (Low Self-Esteem)

आत्म-सम्मान का विकास बचपन में माता-पिता की प्रतिक्रियाओं से गहरा जुड़ा होता है। जब माता-पिता अपने बच्चों को प्रोत्साहित करने के बजाय लगातार उनकी आलोचना करते हैं, उनकी तुलना अन्य बच्चों से करते हैं, या उनकी छोटी गलतियों को भी बड़ा बना देते हैं, तो इससे बच्चों के आत्म-सम्मान पर गहरा आघात होता है। वे खुद को दूसरों से कमतर समझने लगते हैं और अपने आप में आत्मविश्वास की कमी महसूस करते हैं। आत्म-सम्मान की कमी जीवन के हर क्षेत्र में उनके प्रदर्शन और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।


2. अनुशासनहीनता (Lack of Discipline)

बुरे पालन-पोषण में अक्सर माता-पिता या तो बहुत कठोर होते हैं या बहुत ढीले। दोनों स्थितियों में बच्चों के भीतर अनुशासन की कमी होती है। अगर माता-पिता बच्चों को सही तरीके से अनुशासन नहीं सिखाते हैं, तो वे जीवन में नियमों और सीमाओं का महत्व नहीं समझ पाते। वे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से भाग सकते हैं और समाज में अनुशासनहीनता का प्रदर्शन कर सकते हैं। 


इसके विपरीत, अत्यधिक कठोर माता-पिता के कारण बच्चे बगावती हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे स्वतंत्रता से वंचित हैं। इसका परिणाम यह होता है कि वे बिना किसी जिम्मेदारी के अपने कार्यों का परिणाम नहीं समझ पाते हैं।


3. आक्रामकता और हिंसक प्रवृत्ति (Aggression and Violent Behavior)

बुरे पालन-पोषण की वजह से बच्चे अक्सर अपने भावनात्मक तनाव को आक्रामकता के रूप में व्यक्त करते हैं। अगर घर में माता-पिता के बीच निरंतर झगड़े होते हैं, या माता-पिता बच्चों पर अत्यधिक शारीरिक या मौखिक दुर्व्यवहार करते हैं, तो इससे बच्चे हिंसक हो सकते हैं। वे दूसरों से अपने रिश्तों में भी आक्रामकता का प्रदर्शन करते हैं। 


मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, जब बच्चे अपने घर के वातावरण में सुरक्षा या प्रेम नहीं महसूस करते हैं, तो वे हिंसा का सहारा ले सकते हैं ताकि अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें। यह स्कूल, कॉलेज या कार्यस्थल पर भी उनके व्यवहार में झलक सकता है।


4. समाज से दूर होने की प्रवृत्ति (Social Withdrawal)

बुरे पालन-पोषण का एक और प्रमुख प्रभाव यह होता है कि बच्चे समाज से कटने लगते हैं। माता-पिता जो बच्चों को बार-बार अस्वीकार करते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं या उन पर अत्यधिक नियंत्रण रखते हैं, वे बच्चों के भीतर आत्म-संकोच और अकेलेपन की भावना पैदा कर सकते हैं। ऐसे बच्चे समाज में सहज नहीं होते, नए लोगों से मिलने में हिचकिचाते हैं, और सामाजिक मेलजोल से दूर भागते हैं। 


समाज से कटने की यह प्रवृत्ति आगे चलकर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अवसाद और चिंता विकारों में परिवर्तित हो सकती है।


5. निर्णय लेने की क्षमता की कमी (Poor Decision-Making Skills)

बच्चों के जीवन में माता-पिता की भूमिका एक मार्गदर्शक की होती है। जब माता-पिता अपने बच्चों को कभी निर्णय लेने का मौका नहीं देते, या हर छोटे-बड़े निर्णय खुद ही लेते हैं, तो बच्चों की निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। वे आत्म-निर्भर नहीं बन पाते और भविष्य में सही निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करते हैं। 


इसके विपरीत, अगर माता-पिता अपने बच्चों को उचित समर्थन और मार्गदर्शन देते हुए उन्हें निर्णय लेने की स्वतंत्रता देते हैं, तो बच्चों में आत्म-विश्वास और बुद्धिमत्ता का विकास होता है।


6. असफल रिश्ते (Failed Relationships)

बुरे पालन-पोषण का असर बच्चों के भविष्य के रिश्तों पर भी पड़ता है। अगर माता-पिता के बीच खराब संबंध होते हैं, और बच्चे घर में लगातार झगड़े, गाली-गलौज या अत्यधिक नियंत्रण का माहौल देखते हैं, तो इससे वे अपने रिश्तों में भी असफल हो सकते हैं। वे समझ नहीं पाते कि रिश्तों में प्यार, सम्मान और संवाद का महत्व कितना है। 


इसके अलावा, अगर बच्चों को बचपन में पर्याप्त प्यार और ध्यान नहीं मिलता है, तो वे भविष्य में असुरक्षित महसूस कर सकते हैं और अपने रिश्तों में बहुत अधिक निर्भरता या असंतोष दिखा सकते हैं।


7. भावनात्मक अस्थिरता (Emotional Instability)

माता-पिता के व्यवहार का सीधा असर बच्चों की भावनात्मक स्थिरता पर पड़ता है। अगर बच्चे को उसके माता-पिता से प्यार, समर्थन और सुरक्षा नहीं मिलती, तो वह भावनात्मक रूप से अस्थिर हो सकता है। ऐसे बच्चे छोटे-छोटे मुद्दों पर अत्यधिक भावुक हो सकते हैं या फिर पूरी तरह से अपनी भावनाओं को दबा सकते हैं।


भावनात्मक अस्थिरता आगे चलकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याएं पैदा कर सकती है। यह बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद, और तनाव विकारों का कारण बन सकता है।


8. शैक्षणिक असफलता (Academic Failure)

माता-पिता का समर्थन और मार्गदर्शन बच्चों के शैक्षणिक जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन जब माता-पिता बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर ध्यान नहीं देते, उनके साथ सकारात्मक संवाद नहीं करते, या अत्यधिक दबाव डालते हैं, तो इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। 


बच्चे या तो पढ़ाई से डरने लगते हैं और उसमें असफल होते हैं, या फिर वे पढ़ाई से पूरी तरह से उदासीन हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उनकी शिक्षा प्रभावित होती है और वे अपने करियर के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं।


निष्कर्ष:-

बुरे पालन-पोषण का बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को बाधित करता है, बल्कि उनके सामाजिक और शैक्षणिक जीवन पर भी गहरा असर डालता है। आत्म-सम्मान की कमी, अनुशासनहीनता, आक्रामकता, और सामाजिक संबंधों में असफलता जैसी समस्याएं उन बच्चों में आम हो जाती हैं जिनका पालन-पोषण सही ढंग से नहीं किया गया होता है। 

इसलिए, यह अत्यंत आवश्यक है कि माता-पिता अपने बच्चों के पालन-पोषण के तरीकों पर ध्यान दें, उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन करें, प्यार और सुरक्षा प्रदान करें, और उनके मानसिक विकास को समझें। सही पालन-पोषण से बच्चों का आत्म-विश्वास बढ़ता है, वे सामाजिक रूप से सशक्त होते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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