Why we do overthink and how to stop it ? by Ramit Kumar

**हम ज़्यादा सोचते क्यों हैं और इसे कैसे रोकें?**  क्या आपने कभी सोचा है कि हम अक्सर छोटी-छोटी बातों पर इतना क्यों सोचते हैं कि वो हमारे दिमाग़ पर हावी हो जाती हैं? कभी-कभी तो ऐसा लगता है जैसे हम किसी विचारों के भंवर में फंस गए हों, जिससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इसे ही 'ओवरथिंकिंग' कहा जाता है। लेकिन हम ओवरथिंक क्यों करते हैं और इसे रोकने के उपाय क्या हैं? आइए, इस पर विस्तार से बात करें।  ### **हम ओवरथिंक क्यों करते हैं?**  1. **अनिश्चितता का डर**: हमारे जीवन में कई बार ऐसे हालात होते हैं जहां चीजें हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं। इस स्थिति में हम हर संभावित परिणाम के बारे में सोचने लगते हैं, जिससे हमारे दिमाग़ में एक तरह का डर बैठ जाता है।  2. **परफेक्शन की चाह**: कई लोग हर चीज़ को परफेक्ट करना चाहते हैं। इस चाहत में वे हर छोटे से छोटे पहलू पर बार-बार सोचते हैं, जो अंत में ओवरथिंकिंग में बदल जाता है।  3. **नकारात्मक अनुभव**: पुराने नकारात्मक अनुभव या असफलताएं भी हमें ओवरथिंकिंग की ओर धकेलती हैं। हम बार-बार उन घटनाओं को सोचते हैं, जिससे हमारे मन में एक प्रकार का भय या चिंता बनी रहती है।  4. **विचारों का चक्र**: जब हम अपने दिमाग़ में किसी एक विचार को बार-बार दोहराते हैं, तो वह एक चक्र का रूप ले लेता है। इस चक्र से बाहर निकलना मुश्किल होता है, और हम ओवरथिंक करने लगते हैं।  ### **ओवरथिंकिंग के नुकसान**  ओवरथिंकिंग सिर्फ़ मानसिक तनाव ही नहीं बढ़ाता, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। इससे नींद की कमी, सिरदर्द, थकान, और यहां तक कि ह्रदय रोग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ओवरथिंकिंग से व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर होती है, और वह हमेशा अनिश्चितता की स्थिति में फंसा रहता है।  ### **ओवरथिंकिंग को रोकने के उपाय**  1. **माइंडफुलनेस और मेडिटेशन**: माइंडफुलनेस यानी वर्तमान में रहना। मेडिटेशन आपके दिमाग़ को शांत करता है और आपके विचारों को नियंत्रित करने में मदद करता है। रोज़ाना कुछ मिनटों के लिए मेडिटेशन करने से ओवरथिंकिंग को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है।  2. **पॉजिटिव थिंकिंग का अभ्यास**: नकारात्मक विचारों को पहचानकर उन्हें पॉजिटिव विचारों से बदलें। जब भी आपको लगे कि आप ज़्यादा सोच रहे हैं, तो खुद से पूछें - क्या ये विचार वास्तव में सच हैं या केवल मेरे दिमाग़ की उपज?  3. **एक्शन लें**: अक्सर हम इसलिए ओवरथिंक करते हैं क्योंकि हम किसी निर्णय को लेने से डरते हैं। इसलिए, अपने विचारों पर नियंत्रण पाने के लिए एक्शन लें। कोई भी छोटा कदम उठाकर आप अपनी चिंता को कम कर सकते हैं।  4. **अपने विचार लिखें**: अपने विचारों को एक डायरी में लिखना आपके दिमाग़ को हल्का कर सकता है। जब आप अपने विचारों को कागज़ पर उतारते हैं, तो आप उन्हें बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और उनमें से आवश्यक और अनावश्यक विचारों को अलग कर सकते हैं।  5. **समय सीमा निर्धारित करें**: खुद को एक निश्चित समय दें सोचने के लिए। उदाहरण के लिए, "मैं इस समस्या पर सिर्फ़ 10 मिनट सोचूंगा, उसके बाद मैं इसे छोड़ दूंगा।" इससे आप खुद को अनावश्यक विचारों से बचा सकते हैं।  6. **दूसरों से बात करें**: कभी-कभी अपनी समस्याओं को किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से साझा करना भी मददगार होता है। उनका दृष्टिकोण आपके विचारों को बदलने में सहायक हो सकता है।  ### **निष्कर्ष**  ओवरथिंकिंग एक आम समस्या है, लेकिन इससे निपटना भी मुश्किल नहीं है। यह समझना ज़रूरी है कि हमारे विचार हमेशा सच्चाई नहीं होते। हमें अपने दिमाग़ को शांत रखने और अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाने की ज़रूरत है। छोटे-छोटे कदम उठाकर और सही दृष्टिकोण अपनाकर हम ओवरथिंकिंग से छुटकारा पा सकते हैं और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जी सकते हैं।  याद रखें, **कम सोचें और ज़्यादा जिएं**।


क्या आपने कभी सोचा है कि हम अक्सर छोटी-छोटी बातों पर इतना क्यों सोचते हैं कि वो हमारे दिमाग़ पर हावी हो जाती हैं? कभी-कभी तो ऐसा लगता है जैसे हम किसी विचारों के भंवर में फंस गए हों, जिससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इसे ही 'ओवरथिंकिंग' कहा जाता है। लेकिन हम ओवरथिंक क्यों करते हैं और इसे रोकने के उपाय क्या हैं? आइए, इस पर विस्तार से बात करें।

हम ओवरथिंक क्यों करते हैं?

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1. **अनिश्चितता का डर**: हमारे जीवन में कई बार ऐसे हालात होते हैं जहां चीजें हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं। इस स्थिति में हम हर संभावित परिणाम के बारे में सोचने लगते हैं, जिससे हमारे दिमाग़ में एक तरह का डर बैठ जाता है।

2. **परफेक्शन की चाह**: कई लोग हर चीज़ को परफेक्ट करना चाहते हैं। इस चाहत में वे हर छोटे से छोटे पहलू पर बार-बार सोचते हैं, जो अंत में ओवरथिंकिंग में बदल जाता है।

3. **नकारात्मक अनुभव**: पुराने नकारात्मक अनुभव या असफलताएं भी हमें ओवरथिंकिंग की ओर धकेलती हैं। हम बार-बार उन घटनाओं को सोचते हैं, जिससे हमारे मन में एक प्रकार का भय या चिंता बनी रहती है।

4. **विचारों का चक्र**: जब हम अपने दिमाग़ में किसी एक विचार को बार-बार दोहराते हैं, तो वह एक चक्र का रूप ले लेता है। इस चक्र से बाहर निकलना मुश्किल होता है, और हम ओवरथिंक करने लगते हैं।

ओवरथिंकिंग के नुकसान

ओवरथिंकिंग सिर्फ़ मानसिक तनाव ही नहीं बढ़ाता, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। इससे नींद की कमी, सिरदर्द, थकान, और यहां तक कि ह्रदय रोग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ओवरथिंकिंग से व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर होती है, और वह हमेशा अनिश्चितता की स्थिति में फंसा रहता है।

ओवरथिंकिंग को रोकने के उपाय

1. **माइंडफुलनेस और मेडिटेशन**: माइंडफुलनेस यानी वर्तमान में रहना। मेडिटेशन आपके दिमाग़ को शांत करता है और आपके विचारों को नियंत्रित करने में मदद करता है। रोज़ाना कुछ मिनटों के लिए मेडिटेशन करने से ओवरथिंकिंग को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है।

2. **पॉजिटिव थिंकिंग का अभ्यास**: नकारात्मक विचारों को पहचानकर उन्हें पॉजिटिव विचारों से बदलें। जब भी आपको लगे कि आप ज़्यादा सोच रहे हैं, तो खुद से पूछें - क्या ये विचार वास्तव में सच हैं या केवल मेरे दिमाग़ की उपज?

3. **एक्शन लें**: अक्सर हम इसलिए ओवरथिंक करते हैं क्योंकि हम किसी निर्णय को लेने से डरते हैं। इसलिए, अपने विचारों पर नियंत्रण पाने के लिए एक्शन लें। कोई भी छोटा कदम उठाकर आप अपनी चिंता को कम कर सकते हैं।

4. **अपने विचार लिखें**: अपने विचारों को एक डायरी में लिखना आपके दिमाग़ को हल्का कर सकता है। जब आप अपने विचारों को कागज़ पर उतारते हैं, तो आप उन्हें बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और उनमें से आवश्यक और अनावश्यक विचारों को अलग कर सकते हैं।

5. **समय सीमा निर्धारित करें**: खुद को एक निश्चित समय दें सोचने के लिए। उदाहरण के लिए, "मैं इस समस्या पर सिर्फ़ 10 मिनट सोचूंगा, उसके बाद मैं इसे छोड़ दूंगा।" इससे आप खुद को अनावश्यक विचारों से बचा सकते हैं।

6. **दूसरों से बात करें**: कभी-कभी अपनी समस्याओं को किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से साझा करना भी मददगार होता है। उनका दृष्टिकोण आपके विचारों को बदलने में सहायक हो सकता है।

निष्कर्ष

ओवरथिंकिंग एक आम समस्या है, लेकिन इससे निपटना भी मुश्किल नहीं है। यह समझना ज़रूरी है कि हमारे विचार हमेशा सच्चाई नहीं होते। हमें अपने दिमाग़ को शांत रखने और अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाने की ज़रूरत है। छोटे-छोटे कदम उठाकर और सही दृष्टिकोण अपनाकर हम ओवरथिंकिंग से छुटकारा पा सकते हैं और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जी सकते हैं।


याद रखें, कम सोचें और ज़्यादा जिएं।
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